बाल विकास के सिद्धांत

बाल विकास सिद्धांत :

तीन विद्वानों ने तीन अलग – अलग  पहलुओं पर सिद्धांत दिए – 

  • इरिक एच. इरिकसन – मनोविश्लेश्नाताम्क सिद्धांत ( Psychoanalytic Theory)
  • जीन पियाजे – ज्ञानात्मक सिद्धांत ( Cognitive Theory)
  • रोबर्ट आर. पीएर्स – अधिगम सिद्धांत ( Learning Theory)

इरिक एच. इरिकसन – मनोविश्लेश्नाताम्क सिद्धांत (Psychoanalytic Theory)

इरिक एच. इरिकसन का जन्म जर्मनी के फ्रैंकफर्ट क्षेत्र डेनिस माता-पिता से वर्ष 1902 में हुआ ! पिता के मृत्यु हो जाने के कारन इनकी माता ने पुनर्विवाह कर लिया और इनके सौतेले पिता ने इनको गोद लिया ! इनका शुरू में नाम हैमबर्गर था ! परन्तु बाद में इन्होने अपना नाम बदल लिया ! 

इरिकसन ने अपनी धरना का विकास फ्रायड के सिद्धांत पर किया ! परन्तु इनका विचार फ्रायड से तीन प्रकार से भिन्न है –

  1. इरिकसन इड(Id) से इगो (Ego) तक के परिवर्तन पर बाल देता है ! इस धारणा का विकास फ्रायड प्रोब्लेम्स ऑफ़ एंक्जाइटी में कर चूका है ! इरिकसन यह मानकर चलता है कि ‘इड’ तथा इगो से ही पारस्परिक सामाजिक संबंधो का विकास है !
  2. इरिकसन ने व्यक्ति को उसके परिवेश में देखा है ! यह परिवेश व्यक्ति, परिवार,समाज तथा संस्कृति का होता है ! इससे सामाजिक गतिशीलता का विकास होता है !
  3. इरिकसन समय की मांग के प्रति भी सजग रहा है ! मनोवैज्ञानिक बाधाओं पर विजय प्राप्त करके की व्यक्ति को विकास का अवसर प्राप्त होता है !

इरिकसन द्वारा प्रतिपादित विकास के मनोविश्लेष्णात्मक  सिद्धांतो का सारांश :

  1. यह सिद्धांत सम्पूर्णता तथा संगठन पर बाल देता है !
  2. मानव जीवन में विकास का क्रम होता है !
  3. वह आधारभूत मानव मूल्यों में विश्वास करता है !
  4. मानव व्यवहार का सञ्चालन करने वाले तत्वों – शक्ति , चालक, काम- प्रवृति  के अस्तित्व पर विश्वास करते हैं !
  5. मानव विकास के लिए सामाजिक सांस्कृतिक , वैचारिक वातावरण का निर्माण अनिवार्य है !
  6. वह फ्रायड के मत का पूर्ण रूप से समर्थक है कि मानवीय कार्यो से जीवन के अनेक पक्षों का विकास होता है !

2) ज्ञानात्मन सिद्धांत – जीन पियाजे :

जीन पियाजे का जन्म 1896 में न्यू चैटल में हुआ था ! इनके अपने विकास पर पागल माँ और बुद्धिमान पिता का प्रभाव पड़ा ! पियाजे के विचारों पर प्राकृतिक विज्ञान के साथ-साथ दर्शन तथा मनोविज्ञान का प्रभाव भी परिलक्षित होता है !

पियाजे का मत एक – पक्षीय है ! यह मानव व्यवहार पर अधिक बाल देता है !उसने अपने अध्यन का आधार जीवनशास्त्र को बनाया ! … विकास क्रम विश्वभर में एकता होती है और वह प्राकृतिक है ! अलग-अलग प्राणियों में यह पृथक-पृथक रूप से पाया जाता है ! उसने व्यक्तित्वा के विकास में चेतन,अचेतन, पहचान, खेल संवेग आदि का योग बताया ! उसके विचार में व्यक्ति परिवेश में विकसित आवश्यकताओं को पूर्ण करने की प्रक्रिया से ही विकास – पथ पर बढ़ता है ! पियाजे के मत का सारांश –

  1. सभी विकास एक दिशा में होती है !
  2. विकास के सभी पक्ष मानसिक स्तरों पर पाए जाते हैं !
  3. बालक तथा प्रोढ़ के व्यवहार में अंतर होता है !
  4. सभी प्रकार के परिपक्व व्यवहारों का मूल शैशवावस्था के व्यवहार में है !

पियाजे के सिद्धांत इन्द्रिय गति ( Sensory Motor) संज्ञान की आरंभिक अवस्था तथा संज्ञानावस्था में बांटा है  आरंभिक 24 माह में इन्द्रिगति का विकास होता है उसके बाद ज्ञानात्मक विकास होता चला जाता है !…..

  • विकास का सभी पक्ष सामान क्रम में आगे बढ़ता है !
  • विकास की जटिल प्रक्रियाओं में विकास प्राकृतिक एवं स्वाभाविक रूप से बढ़ता है !
  • प्रत्येक प्रकार का विकास शुद्ध सामान्य समस्या से आरंभ होता है !
  • पहले शारीरिक, फिर सामाजिक तथा वैचारिक विकास होता है !
  • व्यक्तित्व के विकास में अहं(ego) का योग  प्रमुख रहता है !
  • बौद्धिक व्यवहार सक्रीय तथा निष्क्रिय रूप से विकसित होता है !
  • विकास स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाता है !
  • नैतिकता, न्याय एवं अवरोध का विकास सामाजिक पारस्परिक से अधिक होता है !
  • विकास के समय पूर्व अवस्था में प्राप्त गुण एवं विशेषताए उम्र भर साथ रहती है !

3) अधिगम सिद्धांत ( Learning Theory)- रोबर्ट रिचर्डसन सियर्स

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