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कुलगीत ————-
गुरुकुल तेरी जय हो… जय हो..
गुरुकुल तेरी जय हो…
रवि सशि सदृश्य, दीप्ति हो तेरी —–2
विचरय हम निर्भय हो
गुरुकुल तेरी जय हो..जय हो…
गुरुकुल तेरी… जय हो….
जग में फैले ज्ञान तुम्हारा
शोध- बोध विज्ञान तुम्हारा
गुरुकुल के शिष्यों के सर पर—-2
ज्ञाना लोक वलय हो
गुरुकुल तेरी जय हो…जय हो…
गुरुकुल तेरी जय हो…
चित्त हमारे पावन कर दो
हर पथ झर को सावन कर दो
नवल धवल चारित्रिक बल से—-2
नव पल्लव किस लय हो
गुरुकुल तेरी जय हो….
भले – बुरे का, भान करा दो
आत्म-तत्व का ज्ञान कारा दो
चक्षु विवेक प्रदान करो तुम—–2
ना कोई संगशय हो
गुरुकुल तेरी जय हो…
तुम बगिया हो, फूल बने हम
ज्ञान प्रेम, संकूल बने हम
तब स्वास’ से पूरित जग हो—–2
अब हर सास मलय हो
गुरुकुल तेरी जय हो… जय हो..
गुरुकुल तेरी जय हो…
युग-युग गाये ..तेरी गाथा
गौरव ‘गान से, उठित माथा
कोयलांचल की’ शान्तियों में—–2
नव उर्जा संचई हो
गुरुकुल तेरी जय हो… जय हो…
गुरुकुल तेरी जय हो ….
रवि सशि सदृश्य, दीप्ति हो तेरी —–2
विचरय हम निर्भय हो
गुरुकुल तेरी जय हो…जय हो….
गुरुकुल तेरी… जय हो
गुरुकुल तेरी… जय… हो….